कामिनी भाग 19
चेतन पूल पर चलकर, उन पिशाचीनियों के पास आता है, उसके सामने कामिनी, रात्रि और उसकी सभी सखियां, भेड़ियो पर बैठी है, उन्होंने चेतन को देखा और कामीनी ने चेतन से कहा
"तुम्हारा अदम्य साहस देखकर, मुझे बहुत खुशी हो रही है, क्योंकि हमारा विकराल रूप देखकर, लोगों के प्राण निकल जाते हैं, परंतु, तुम प्रसन्न हो, तनिक भी विचलित नहीं हुए हो, तुम्हें अपना जीवनसाथी चुनकर, हमें बहुत खुशी हो रही है, कल हमारा विवाह है,किसी भी वस्तु की आवश्यकता हो तो बता दो"!
"मुझे, तुमसे प्रेम हो गया है और निश्छल प्रेम पवित्र होता है, इसीलिए भय किस बात का"! चेतन ने कहा
"हा,,,हा,,,हा,,,स्त्री ओर पुरुष के बीच कभी प्रेम नहीं होता है, केवल छल होता है, तुमने पहली बार प्रेम किया है, इसीलिए तुम प्रेम से अनजान हो'! कामिनी ने हंसते हुए कहा
"और तुमने कई बार प्रेम किया है, इसीलिए तुम भी प्रेम से अनजान हो"! चेतन ने कहा
चेतन का यह वाक्य सुनकर, कामिनी गुस्सा होकर, भेड़िए से नीचे उतरती है और चेतन के पास आकर कहती है
"मैंने कभी किसी से प्रेम नहीं किया"!
"तो फिर तुम्हें कैसे पता कि स्त्री और पुरुष के बीच, केवल छल होता है"? चैतन ने पूछा
"क्योंकि प्रेम में केवल, छल ही हो सकता है, प्रेम तो एक अपवाद है"! कामिनी ने बताया
तभी चैतन ने अपनी उंगलियों से कामिनी के गालो से गले तक, प्रेम पूर्वक स्पर्श किया,चेतन की यह हरकत, कामिनी के लिए, किसी जादू से कम नहीं है, वह रोमांचित हो उठी और उसने कहा
"तुमने इस स्पर्श के साथ, अतीत की यादें ताजा कर दी, मुझे, तुम और तुम्हारा स्पर्श, बहुत जाना-पहचाना सा लगता है"! कामिनी ने कहा
तभी चैतन ने कामिनी की कमर को कसकर, अपनी ओर खींचा और धीरे से उसके होंठो को चुम्मा, यह देखकर सभी वहां से चली जाती है, तब कामिनी कहती है
"बस आज की रात और धैर्य रख लो फिर हम, हमेशा के लिए एक हो जाएंगे"!
"सारी जिंदगी रुक सकता हूं पर आज नहीं रुक सकता, कल तुममे वह बात नहीं रहेगी, जो आज है"! चैतन ने कहा
"वह कौन सी बात है"? कामिनी ने चेतन के गले में हाथ डालते हुए, प्यार से पूछा
"आज तुम, मेरी प्रेमिका हो, कल मेरी पत्नी हो जाओगी, मिलन का जो मजा प्रेमिका के साथ है, वह पत्नी के साथ नहीं रहता है"! चैतन ने कामिनी को अपनी बाहों में भरते हुए कहा
"जब मुझे, प्रेमिका बनाकर सब कुछ पाया जा सकता है तो फिर विवाह क्यों कर रहे हो"? कामिनी ने पूछा
"ताकि तुम्हें, हमेशा के लिए अपने वश में कर लूं और अपने प्रेम के बंधन से ऐसा बांध लूं कि तुम चाह कर भी मुझे छोड़ ना पाओ"! चेतन ने बाहों में भरी हुई, कामिनी के बालों को सराहते हुए कहा
"मैंने कभी किसी, युवा पुरुष को निराश नहीं किया है, हमेशा उसे वह सब कुछ देने की कोशिश की है, जो यह दुनिया नहीं दे पाई है और तुम तो मेरे सबसे विशेष प्रेमी हो, चलो,,,आज तुम्हारी यह अभिलाषा भी पूरी कर देती हूं"! कामिनी ने चेतन का हाथ पकड़ कर उसे ले जाते हुए कहा
कामिनी ने चेतन के दोनों हाथ, अपने हाथों में लिए और वह उल्टे कदम, चलने लगी, दोनों एक दूसरे को प्यार से देख रहे हैं और चल रहे हैं, कुछ दूर चलने के बाद, चेतन ने कामिनी के हाथों को अपनी और खिंचा, दोनों धीरे से टकराये और एक दूसरे को देखते रहे, फिर चेतन ने खड़ी कामिनी को उठाया और गोल-गोल घूमने लगा, कमीनी ने अपने दोनों हाथ फैलाए और उस घूमने की प्रक्रिया का लुत्फ उठाने लगी, फिर उसे नीचे उतारा, दोनों ने एक दूसरे को प्रेम पूर्वक देखा और दोनों एक दूसरे से लिपट गए और बेसब्री से एक दूजे को चूमने लगे, कामिनी को बेकाबू होते देख, चेतन ने उसके योवन पर और तेजी से प्रहार किया और उसे आगे पीछे, ऊपर नीचे, कमर, पेट, गाल, होंठ सब और हाथों से सराहते हुए, चुमने लगा, जब कामिनी ने पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया और वह पानी पानी हो गई, तब चेतन उसे अचानक, छोड़कर भागने लगा और भागता हुआ, जंगल कि पश्चिम की ओर आया, तब उसे वह जगमगाता हुआ, सफेद वृक्ष सफेद वृक्ष दिखाई दिया, जो उसे अंधेरे जंगल में जगमगा रहा है, चेतन ने उसे देखा और उसकी और बड़ा, तभी उसे सामने कामिनी दिखाई दी
कामिनी गुस्से में है, इसीलिए उसने चिल्ला कर पूछा
"मुझे इस तरह छोड़कर, वहां से भागे क्यों"?
"वहां हमें छुपकर, एक भेड़िया देख रहा था, प्रेम एकांत की मांग करता है, वह हम पर हमला करने वाला था, इसीलिए मुझे भागना पड़ा"!
"मुझसे भय नहीं लगता और एक भेड़िये से डर गए, तुम तो बड़े डरपोक हो, पर एक बात कहूं, मुझे पता है, तुम झूठ बोल रहे हो"! कामिनी ने स्पष्ट कहा
" झूठ ही समझ लो पर यह जंगल उस जगह से बेटर है"!
चेतन ने अपने दोनों हाथों से कामिनी को गोद में उठाते हुए कहा और उस सफेद वृक्ष की ओर चलने लगा
"मुझे कहां लेकर जा रहे हो"? कामिनी ने पूछा
"हमारे प्यार के अंजाम की ओर ले जा रहा हूं"!चेतन ने बताया
"प्यार का अंजाम बड़ा खतरनाक होता है"! कामिनी ने कहा
"मुझे खतरनाक काम करने में बड़ा मजा आता है"! चेतन ने चलते हुए कहा
"मुझे उस पेड़ की रोशनी से डर लगता है, उधर खंडहर में चलते हैं"! कामिनी ने कहा
"मुझसे डर नहीं लगता और पेड़ की रोशनी से डर लगता है, बड़ी डरपोक हो तुम और एक बात कहूं, मुझे पता है, तुम झूठ बोल रही हो"! चेतन ने कहा
"झूठ ही समझ लो पर कृपा कर उधर मत चलो"! कामीनी ने कहा
"आज तुम्हारा सारा भय समाप्त हो जाएगा, हमारे मिलन के लिए, इस पूरे जंगल में इस पेड़ से शुद्ध, सुगंधित और रोमांटिक और कोई दूसरा स्थान नहीं है, इसीलिए तुम्हें वहां ले जा रहा हूं"!चैतन चलते हुए, कामिनी के गालों को चुमते हुए कहा
"मुझे संपूर्ण वन में यह स्थान, सबसे अधिक भयभीत करने वाला लगता है, इसी कारण, हम में से कोई भी यहां, नहीं आती है और ना यहां किसी को आने देती हैं, मुझे यह वृक्ष, अपना परम शत्रु लगता है"! कामिनी ने बताया
"यह सब, तुम्हारे मन के भाव है, देखो,,,,,कितना सुंदर वातावरण है, कितनी दिव्य सुगंध आ रही हैं"! चेतन ने उस सफेद वृक्ष के नीचे, कामिनी को उतार कर कहा
"क्या चेतन चुड़ैल, कामिनी से मिलन कर, अपनी नपुंसकता के श्राप को समाप्त कर पाएगा"?
" आखिर क्या हुआ पागल प्रोफेसर के साथ, जो वह लापता है"?
अपने सभी द्वंव ओर प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए, पढ़ते रहिये, कामिनी एक अजीब दास्ताँ
Rupesh Kumar
19-Dec-2023 09:16 PM
V nice
Reply
Shnaya
19-Dec-2023 11:20 AM
Nice one
Reply
Alka jain
19-Dec-2023 10:50 AM
Nyc
Reply